प्रेम का दीप
अँधेरे को जो चीर रहा हैं….. प्रिय ये तुम्हारे प्रेम का ही दीप हैं….. उस पल जब डर से घिर, मेरा ह्रदय कपने लगता हैं…. साँसे …
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अँधेरे को जो चीर रहा हैं….. प्रिय ये तुम्हारे प्रेम का ही दीप हैं….. उस पल जब डर से घिर, मेरा ह्रदय कपने लगता हैं…. साँसे …