प्रभु तुम बरस रहे हो…
प्रभु तुम बरस रहे हो… हर पल हर क्षण… पर जाने क्यों मेरा ह्रदय आँगन सुखा ही रह जाता हैं.., आस-पास जहाँ भी ह्रदय से देखता हूँ… प्रभु तुम ही नज़र आते हो… …
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प्रभु तुम बरस रहे हो… हर पल हर क्षण… पर जाने क्यों मेरा ह्रदय आँगन सुखा ही रह जाता हैं.., आस-पास जहाँ भी ह्रदय से देखता हूँ… प्रभु तुम ही नज़र आते हो… …
अँधेरे को जो चीर रहा हैं….. प्रिय ये तुम्हारे प्रेम का ही दीप हैं….. उस पल जब डर से घिर, मेरा ह्रदय कपने लगता हैं…. साँसे …