बांसुरी और वह

राह में  मिले कृष्णा कहीं, मुझे अपनी  बांसुरी दे गए कान में मेरे चुपके से एक बात कह गए — वह छेल छबीली पनघट पर शिथिल , चुपचाप खड़ी है वह जड़ है …

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अन्दर कोई हैं

गाड़ियों में जाने-अनजाने आदमी भागते जा रहे हैं…. मैं भी भाग रहा हूँ, तेज बहुत तेज… अन्दर कोई हैं जो कह रहा हैं- भाग ले कितना भी तेज मंजिल नहीं मिलेगी… दोस्तों के …

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प्रभु तुम बरस रहे हो…

प्रभु तुम बरस रहे हो… हर पल हर क्षण… पर जाने क्यों मेरा ह्रदय आँगन सुखा ही रह जाता हैं.., आस-पास जहाँ भी ह्रदय से देखता हूँ… प्रभु तुम ही नज़र आते हो… …

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प्रेम का दीप

अँधेरे को जो चीर रहा हैं…..        प्रिय ये तुम्हारे प्रेम का ही दीप हैं….. उस पल जब डर से घिर, मेरा ह्रदय कपने लगता हैं….          साँसे …

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